मांसभक्षण से सदा दूर रहना चाहिए।
नाकृत्वा प्राणिनां हिंसां मांसमुत्पद्यते क्वचित्। न च प्राणिकधः स्वर्ग्यस्तस्मान्मासं विवर्जयेत्।। (मनुस्मृति-५.४५) ~ प्राणियों की हिंसा किए बिना मांस नहीं मिलता है और प्राणियों को मारना कथमपि सुखदायक नहीं हो सकता है, अत: सुख चाहने वाले व्यक्तिको मांसभक्षण से सदा दूर रहना चाहिए।